व्यथा लाकडाउन की...... कमलेश कहार करकबेल

व्यथा लाकडाउन की......🙏🙏
किसी भी कवि की कल्पनाओं में भी  यह शब्द सपने में भी नहीं आया होगा !
और न ही खुले मन,खुली आंखों ने ऐसा सोचा होगा जी 🙏
तो फिर इस कमलेश की क्या औकात.....
कि लाकडाउन का क्या मतलब होता है ?
इसका शाब्दिक अर्थ क्या होता है जी 🙏....
.... छोटी सी चाय नाश्ता की दुकान ही एक मात्र जरिया था अपना और अपने परिवार के भरण-पोषण लालन पालन का जी 🙏...
जब से लाकडाउन जारी है जी
तब से घर में ही घर कर रहा हूं जी 🙏......
दिन चर्या नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर-.....
थोड़ा सा शारीरिक व्यायाम ।
खाना बनवाने में सहयोग ।
झाड़ू लगाना ।
कभी कभी बर्तनों को धोना।
कपड़ों को धोना....
इत्यादि काम काज घर में ही रहकर करना ....
और फिर दुनिया की खबर रखने हेतु- समाचार चैनलों को देखते हुए...
हमारे दूरदर्शन पर श्री रामायण, महाभारत, श्री कृष्ण, सांई बाबा, शक्तिमान सहित कुछ एक कार्टून सीरीज का आनंद ही तो ले रहा हूं जी 🙏...
रेडियो कार्यक्रमों को सुनने के साथ दिन की शुरुआत होती है,होती ही रहती है जी 🙏...
सरकारी जमीन याने फुटपाथ पर दुकान है चाय नाश्ता की जी 🙏....
लेकिन किंतु परंतु अगर मगर के चलते फिलहाल तो बंद है जी दुकान🙏....
मेरी आन बान और पहचान मेरी यह चाय नाश्ता की दुकान है जी 🙏....
यदि कुछ मदद ही करना है तो करें जी 🙏....
जैसे कि आर्थिक मदद जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏....
वरना उक्त पोस्ट पढ़कर झूठ मूठ की संवेदनाएं और तसल्ली तो दे ही सकते हैं जी ......
जैसे कि मैं इस मोबाइल फोन के जरिए यह लिखता ही रहता हूं... आपका सबसे बड़ा शुभचिंतक-
मेरे मन में विचार और परिस्थितियों के चलते ऐ उद्गार व्यक्त करते हुए थोड़ा सा शांत महसूस कर रहा हूं जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जो है सो है जी 🙏🙏🙏🙏 शुभ दिन जी 🙏
🙏 आपका शुभचिंतक 🙏
कमलेश कहार करकबेल तहसील गोटेगांव जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश